शुक्रवार, 18 अगस्त 2023

जिंदगी सुहानी होगी, सोच बदलें

13 अगस्त 2023 को सुबह चाय पीते हुए एक बच्ची का वीडियो देख रहा था; चार-पाँच साल की बच्ची का यह वीडियो मज़ाकिया अंदाज़ में बनाया गया है लेकिन कुछ सेकंड के वीडियो में जिंदगी की असलियत बयाँ की है। बच्ची कह रही है- *ज़ीदगी आपको बहुत दुःख देगी लेकिन उसे साफ़-साफ़ मना कर देना कि मुझे नहीं चाहिए* वीडियो के अंत में हर कोई यही सोचता होगा, मैंने भी सोचा कि काश! ऐसा होता और ज़िंदगी को साफ-साफ मना कर देते कि यह तकलीफ़ हमें नहीं चाहिए। इस वीडियो के बाद मुझे कृष्ण बिहारी नूर की एक ग़ज़ल की चार लाइनें भी याद आ गईं। उनमें बहुत ख़ूबसूरत अंदाज़ में ज़िंदगी को परिभाषित किया गया है। नूर साहब लिखते हैं- *ज़िंदगी से बड़ी सज़ा ही नहीं, और क्या ज़ुर्म है पता ही नहीं।* *इतने हिस्सों में बँट गया हूं मैं, मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं।* ज़िन्दगी को इसी शक्लो-सूरत में बॉलीवुड के कई गानों में भी देखा होगा। हर किसी की अपनी परिभाषा है और आप उसे जिस तरह परिभाषित करेंगे, उसी तरह से उसे जिएँगे भी। मेरा मानना है कि जिंदगी को संवारना और ख़ूबसूरत बनाना व्यक्ति के अपने वश में होता है। एक लंबी यात्रा के दौरान डगर में कहीं काँटे आते है तो फूल भी आते हैं। ज़िंदगी तो सुहाना सफर है; बस! सोच बदलनी पड़ती है।

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